MP News: मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य के मेडिकल और डेंटल कॉलेजों में कार्यरत 1,500 चिकित्सा शिक्षकों को 7वें वेतनमान का लाभ देने का फैसला किया है। इसका लाभ 1 जनवरी 2016 से प्रभावी होगा, जिससे शिक्षकों के वेतन में वृद्धि होगी। चिकित्सा शिक्षा विभाग ने इस संबंध में आदेश दो दिन पहले जारी किए, हालांकि कैबिनेट ने इसे 4 अक्टूबर 2023 को मंजूरी दी थी।
वेतन में वृद्धि, लेकिन एरियर का मुद्दा बना सवाल
मध्य प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों को 1 जनवरी 2016 से 7वां वेतनमान दिया गया था, लेकिन चिकित्सा शिक्षकों को यह लाभ 1 अप्रैल 2018 से ही मिला। इस देरी के चलते जनवरी 2016 से मार्च 2018 तक का 15 महीने का एरियर लंबित है, जिसे लेकर शिक्षकों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। विशेषज्ञों के अनुसार, इस एरियर की राशि प्रति शिक्षक 2 से 4 लाख रुपये तक हो सकती है।
NPA में सुधार से वेतन में और इजाफा
चिकित्सा शिक्षा विभाग ने NPA (Non-Practicing Allowance) में भी सुधार किया है, जिससे शिक्षकों के वेतन में और वृद्धि होगी। इससे उनकी वित्तीय स्थिति मजबूत होगी और उन्हें आर्थिक रूप से राहत मिलेगी।
डॉक्टरों की आगामी बैठक में होगा फैसला
मध्य प्रदेश के शासकीय चिकित्सक महासंघ के अनुसार, सरकार ने 7वें वेतनमान का आदेश तो जारी कर दिया है, लेकिन एरियर को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है। 7 मार्च को डॉक्टरों की एक बैठक आयोजित की जाएगी, जिसमें इस मुद्दे पर चर्चा होगी और आगे की रणनीति तय की जाएगी।
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चिकित्सा शिक्षकों की मांग और सरकार का रुख
मध्य प्रदेश के चिकित्सा शिक्षक लंबे समय से 7वें वेतनमान के एरियर को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। सरकार ने उनके वेतनमान की मांग को तो स्वीकार कर लिया है, लेकिन एरियर पर कोई स्पष्ट निर्णय नहीं लिया गया है। शिक्षकों का कहना है कि यदि उन्हें जनवरी 2016 से वेतनमान दिया जा रहा है, तो 2016-18 के एरियर का भुगतान भी किया जाना चाहिए।
सरकार की ओर से अभी तक इस विषय पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन संभावना है कि आगामी बैठक में इस पर कोई ठोस फैसला लिया जा सकता है। चिकित्सा शिक्षक इस फैसले से संतुष्ट तो हैं, लेकिन जब तक एरियर को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं होती, उनकी मांगें पूरी तरह से पूरी नहीं मानी जाएंगी।
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मैं उमा, अपना कल की लेखिका हूँ। नीति, योजनाओं और सामाजिक विषयों पर लिखती हूँ, खासतौर पर मध्य प्रदेश और देश से जुड़े मुद्दों पर। मेरा लक्ष्य जटिल विषयों को सरल भाषा में प्रस्तुत कर जागरूकता बढ़ाना है।
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