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मोहन सरकार का कर्ज: किसानों, लाड़ली बहनों और विकास कार्यों के नाम पर बढ़ता आर्थिक बोझ

MP News: मध्य प्रदेश की मोहन सरकार एक बार फिर 4 हजार करोड़ रुपए का कर्ज लेने जा रही है। यह कर्ज 12 मार्च 2025 को लिया जाएगा, जिससे चालू वित्त वर्ष में मोहन सरकार द्वारा लिया गया कुल कर्ज 51 हजार करोड़ रुपए तक पहुंच जाएगा। इससे पहले भी 4 मार्च को 6 हजार करोड़ और 20 फरवरी को 6 हजार करोड़ का कर्ज लिया गया था।

मोहन सरकार का कहना है कि यह कर्ज किसानों की ऋण माफी, लाड़ली बहना योजना और बुनियादी विकास कार्यों के लिए लिया जा रहा है। लेकिन क्या यह कर्ज वाकई जनता के कल्याण में जाएगा, या फिर सिर्फ सरकारी खर्चों और ब्याज चुकाने में ही खत्म हो जाएगा? क्या है पूरा मामला जानने के लिए यह खबर अंत तक जरूर पढ़ें। 

मोहन सरकार का नया कर्ज

मध्य प्रदेश की मोहन सरकार द्वारा उठाया जा रहा यह नया कर्ज 22 साल और 6 साल की अवधि के लिए लिया जा रहा है, जिसका ब्याज छमाही आधार पर चुकाया जाएगा। हालांकि, यह सवाल भी उठता है कि क्या सरकार की यह रणनीति राज्य की आर्थिक स्थिरता के लिए सही है?

सरकारी अधिकारियों के मुताबिक, यह कर्ज बुनियादी ढांचे के विकास, किसानों को राहत देने और सामाजिक योजनाओं को जारी रखने के लिए लिया जा रहा है। लेकिन अगर पिछले रिकॉर्ड देखें, तो राज्य सरकार के ऊपर पहले से ही 3.75 लाख करोड़ रुपए का कर्ज है, और लगातार कर्ज बढ़ने से आर्थिक संतुलन बिगड़ सकता है।

कर्ज के पीछे सरकार की दलील

मोहन सरकार ने कहा है कि इस कर्ज से राज्य की प्रमुख योजनाएं चलती रहेंगी, जैसे:

  • लाड़ली बहना योजना: महिलाओं को आर्थिक मदद देने के लिए सरकार हर महीने ₹1250 की राशि ट्रांसफर कर रही है।
  • किसानों की मदद: राज्य में किसान ऋण माफी और फसलों के लिए मुआवजा और कई तरह की अन्य योजनाएं जारी हैं।
  • सड़क और इंफ्रास्ट्रक्चर विकास: राज्य में सड़कों, बिजली, जल आपूर्ति और अन्य बुनियादी सुविधाओं को मजबूत करने के लिए फंडिंग की जरूरत है।
  • स्वास्थ्य और शिक्षा: नए अस्पतालों, स्कूलों और अन्य सरकारी संस्थानों के लिए फंड जुटाने की जरूरत बताई जा रही है।

देखें ये कर्ज जनता की जेब पर कितना भारी पड़ेगा?

मध्य प्रदेश सरकार का बढ़ता कर्ज सीधे तौर पर जनता पर असर डाल सकता है:-

  • बढ़ता राजकोषीय घाटा: लगातार कर्ज लेने से राज्य का घाटा बढ़ता रहेगा, जिससे भविष्य में सरकारी योजनाओं पर असर पड़ सकता है।
  • करदाताओं पर बढ़ेगा बोझ: कर्ज का ब्याज चुकाने के लिए सरकार करों में बढ़ोतरी कर सकती है, जिससे आम आदमी पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।
  • ब्याज चुकाने का बोझ: सरकार को इन कर्जों पर छमाही ब्याज चुकाना होगा, जिससे आने वाले वर्षों में अन्य सरकारी खर्चों में कटौती हो सकती है।
  • विकास परियोजनाओं पर असर: अगर कर्ज का सही इस्तेमाल नहीं हुआ, तो सरकार को आने वाले समय में विकास परियोजनाओं में कटौती करनी पड़ सकती है।

विपक्ष ने मोहन सरकार पर लगाया आरोप

विपक्ष ने मोहन सरकार के इस फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा है कि लगातार कर्ज लेने के बावजूद, जनता को इसका कोई सीधा फायदा नहीं दिख रहा है।

विपक्षी नेता रवि शंकर वर्मा का कहना है,
“मोहन सरकार सिर्फ कर्ज ले रही है, लेकिन यह पैसा कहां जा रहा है, इसकी कोई पारदर्शिता नहीं है। लाड़ली बहनों और किसानों के नाम पर लिया जा रहा यह कर्ज, अगर सही से खर्च नहीं हुआ, तो आने वाले समय में राज्य की अर्थव्यवस्था संकट में पड़ सकती है।”

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क्या कर्ज के बिना सरकार काम नहीं चला सकती?

आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि मध्य प्रदेश सरकार को अपने खर्चों को संतुलित करने और आय के नए स्रोत बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए, बजाय इसके कि वह बार-बार कर्ज लेकर भविष्य को संकट में डाले।

आर्थिक विशेषज्ञ प्रो. अजय मिश्रा का कहना है:
“बार-बार कर्ज लेना कोई समाधान नहीं है। सरकार को टैक्स कलेक्शन बढ़ाने, औद्योगिक निवेश लाने और राजस्व के नए साधन बनाने पर ध्यान देना होगा। वरना, आने वाले वर्षों में राज्य पर ब्याज चुकाने का इतना भारी बोझ आ जाएगा कि विकास कार्य ठप हो जाएंगे।”

अब सवाल यह है कि यह कर्ज किसका बोझ बनेगा?

मध्य प्रदेश सरकार कर्ज ले रही है, लेकिन इसका असर आने वाले समय पर पड़ेगा। अगर सही योजनाओं में इस पैसे का इस्तेमाल नहीं हुआ, तो इसका सीधा असर मध्य प्रदेश की अर्थव्यवस्था, रोजगार और विकास पर पड़ेगा।

आम जनता के मन में भी यही सवाल है कि “क्या यह कर्ज वाकई हमारे फायदे के लिए लिया जा रहा है, या फिर यह सिर्फ सरकार की जरूरतें पूरी करने का एक और बहाना है?” अब देखने वाली बात यह होगी कि मोहन सरकार इस कर्ज का कितना सही उपयोग कर पाती है, या फिर यह सिर्फ ब्याज चुकाने और पुराना कर्ज भरने में ही खत्म हो जाएगा।

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