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मध्य प्रदेश के किसानों के लिए बड़ी खबर: गेहूं पंजीयन की लास्ट डेट जारी साथ ही इन योजनाओं की हुई शुरुआत

मध्य प्रदेश के किसानों के लिए एक के बाद एक राहत भरी खबरें आ रही हैं। जहां एक ओर सरकार ने गेहूं की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर बोनस देने का ऐलान किया है, वहीं दूसरी ओर गेहूं उपार्जन (खरीद) के लिए पंजीयन प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। ऐसे में किसानों के लिए यह जानना जरूरी है कि वे सरकारी खरीद में भाग लेने के लिए कैसे पंजीयन करवा सकते हैं और उन्हें कुल कितना दाम मिलेगा। आइए विस्तार से जानते हैं पूरी जानकारी।

गेहूं उपार्जन पंजीयन की प्रक्रिया और अंतिम तिथि

अगर आप भी अपना गेहूं सरकारी केंद्रों पर बेचना चाहते हैं, तो 31 मार्च 2025 तक पंजीयन करवाना अनिवार्य है। अभी तक 60 हजार से ज्यादा किसान पंजीयन करवा चुके हैं। और अगर आप भी सरकारी केंद्र , मंडी में अपना गेहूं बेचना चाहते है और बोनस का लाभ लेना चाहते है तो अंतिम तिथि से पहले जरूर पंजीयन करें। 

गेहूं पंजीयन कैसे करें?

  1. ऑनलाइन माध्यम से:
    • किसान स्वयं अपने मोबाइल से एमपी किसान एप के माध्यम से घर बैठे पंजीयन कर सकते हैं।
    • एमपी किसान पोर्टल पर जाकर भी पंजीयन किया जा सकता है।
  2. नजदीकी पंजीयन केंद्र से:
    • ग्राम पंचायत और जनपद पंचायत कार्यालय
    • तहसील कार्यालय
    • सहकारी समितियां और विपणन संस्थाएं
    • एमपी ऑनलाइन कियोस्क, कॉमन सर्विस सेंटर (CSC), लोक सेवा केंद्र
    • निजी साइबर कैफे (जहां अधिकतम 50 रुपये शुल्क लिया जाएगा)

गेहूं पंजीयन के लिए जरूरी दस्तावेज

  • आधार कार्ड (वेरिफिकेशन जरूरी)
  • बैंक खाता नंबर और IFSC कोड (ध्यान दें, एयरटेल, पेटीएम, फिनो आदि के खाते मान्य नहीं होंगे)
  • भूमि संबंधी दस्तावेज (सत्यापन के लिए अनिवार्य)
  • अन्य फोटो पहचान पत्र (पंजीयन रिकॉर्ड के लिए)

गेहूं की सरकारी खरीद पर मिलेगा बोनस

मध्य प्रदेश सरकार ने किसानों को राहत देते हुए गेहूं की सरकारी खरीद पर 175 रुपये प्रति क्विंटल का बोनस देने की भी घोषणा की है। इससे किसानों को कुल 2600 रुपये प्रति क्विंटल का दाम मिलेगा, जो पिछले साल के मुकाबले अधिक है। पिछले साल किसानों को 125 रुपये प्रति क्विंटल बोनस मिला था, जिससे कुल मूल्य 2400 रुपये था।

इस बोनस से सरकारी खरीद को बढ़ावा मिलेगा और किसान सरकारी केंद्रों पर अधिक मात्रा में गेहूं बेचने के लिए आकर्षित होंगे। मध्य प्रदेश सरकार का यह कदम इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इस साल खुले बाजार में गेहूं की कीमतें अधिक चल रही हैं, जिससे किसान निजी व्यापारियों को बेचने में अधिक रुचि दिखा रहे थे। लेकिन बोनस की वजह से किसान सरकारी केन्द्रो पर ही फसल बेचने में दिलचस्पी रखेंगे। 

बटाईदार और पट्टाधारी किसानों के लिए खास नियम

  • बटाईदार, कोटवार और वन पट्टाधारी किसान सहकारी समितियों और विपणन संस्थाओं के माध्यम से ही पंजीयन करवा सकते हैं।
  • इनके पंजीयन का सत्यापन राजस्व विभाग द्वारा किया जाएगा।

बोनस और सरकारी खरीद से किसानों को क्या लाभ मिलेगा?

  1. बेहतर मूल्य: किसान को 2600 रुपये प्रति क्विंटल तक मिलेगा, जो बाजार की अनिश्चितता से बचाव करेगा।
  2. भुगतान की गारंटी: सरकारी केंद्रों पर फसल बेचने से भुगतान की पूरी गारंटी होगी और धोखाधड़ी की संभावना नहीं रहेगी।
  3. सरकार की भविष्य की योजना: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने घोषणा की है कि अगले साल गेहूं का समर्थन मूल्य 2700 रुपये से अधिक किया जाएगा।
  4. अनाज भंडार की स्थिरता: सरकारी खरीद बढ़ने से अनाज भंडारण मजबूत होगा, जिससे भविष्य में गेहूं की कीमतों में स्थिरता बनी रहेगी।

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देखें किसानों की क्या मांग है?

हालांकि यह बोनस किसानों के लिए राहत लेकर आया है, लेकिन कुछ किसान संगठन इससे पूरी तरह संतुष्ट नहीं हैं। भारतीय किसान संघ समेत कई संगठनों ने 3000 रुपये प्रति क्विंटल का समर्थन मूल्य तय करने की मांग की है। उनका कहना है कि बाजार में पहले से ही गेहूं की कीमतें 2600-3000 रुपये प्रति क्विंटल चल रही हैं, इसलिए सरकार को MSP और बढ़ाने की जरूरत है।

मध्य प्रदेश सरकार द्वारा घोषित बोनस और गेहूं खरीद पंजीयन प्रक्रिया किसानों के लिए एक अच्छा अवसर है। जो किसान सरकारी खरीद में भाग लेना चाहते हैं, उन्हें 31 मार्च 2025 से पहले पंजीयन कराना जरूरी है। इस योजना का लाभ उठाकर किसान अपनी उपज का सही मूल्य प्राप्त कर सकते हैं और सुरक्षित भुगतान सुनिश्चित कर सकते हैं।

यदि आप किसान हैं और गेहूं बेचने की योजना बना रहे हैं, तो जल्द से जल्द पंजीयन करवाकर सरकारी खरीद का लाभ उठाएं।

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Author

  • Uma ApnaKAl

    मैं उमा, अपना कल की लेखिका हूँ। नीति, योजनाओं और सामाजिक विषयों पर लिखती हूँ, खासतौर पर मध्य प्रदेश और देश से जुड़े मुद्दों पर। मेरा लक्ष्य जटिल विषयों को सरल भाषा में प्रस्तुत कर जागरूकता बढ़ाना है।

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