मध्य प्रदेश में पूर्व सीएम शिवराज सरकार के दौरान शुरू की गई लाड़ली बहना योजना एक बार फिर चर्चा में है। इस योजना के तहत लाखों महिलाओं को हर महीने आर्थिक मदद दी जाती है, लेकिन अब इसे लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। ताजा रिपोर्ट्स के मुताबिक, पिछले दो सालों में करीब 3.5 लाख महिलाओं का नाम इस योजना से हट चुके है। और इसके क्या कारण है इसके बारे में हम यहाँ विस्तार से जानेंगे।
देखें क्यों हटाए जा रहे हैं लाड़ली बहनों के नाम?
पिछले रिकार्ड्स और खबरों के मुताबिक, समग्र पोर्टल से कई महिलाओं के नाम डिलीट कर दिए गए हैं और उनके आधार कार्ड को भी पोर्टल से डीलिंक कर दिया गया है। इससे हजारों महिलाएं हर महीने मिलने वाली आर्थिक सहायता से वंचित हो रही हैं। बैतूल और आगर मालवा के कलेक्टरों ने इस मामले में शिकायत भी दर्ज कराई है। बैतूल में 169 महिलाओं का नाम योजना से काट दिया गया, जबकि आगर मालवा में 58 महिलाओं के नाम हटाए गए और 142 के आधार को समग्र पोर्टल से हटा दिया गया।
महिला एवं बाल विकास ने दिया अपडेट
महिला बाल विकास विभाग का कहना है कि इस योजना में 60 साल तक की महिलाओं को ही पात्र माना गया है। जिनकी उम्र सीमा पार हो रही है या जिन्होंने खुद योजना छोड़ दी है, उन्हीं के नाम काटे जा रहे हैं। विभाग ने यह भी कहा कि जहां गड़बड़ी की शिकायतें आई हैं, वहां जांच कराई जाएगी और यदि कोई गलती पाई गई तो उसे सुधारा जाएगा।
विपक्ष ने लगाए आरोप
कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने इस मुद्दे पर सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। उनका आरोप है कि सरकार ने चुनाव से पहले बड़े-बड़े वादे किए थे, लेकिन अब योजना की राशि बढ़ाने के बजाय लाखों महिलाओं को इससे बाहर किया जा रहा है। विपक्ष यह भी सवाल उठा रहा है कि जब योजना शुरू हुई थी, तब महिलाओं की संख्या बढ़ रही थी, लेकिन अब तेजी से क्यों घट रही है? इसके साथ ही लाड़ली बहना योजना के तीसरे चरण शुरू ना होने पर भी विपक्ष द्वारा सवाल उठायें जा रहे है।
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पहले बढ़ी थी संख्या, अब क्यों घट रही है?
जब 2023 में योजना की पहली किस्त महिलाओं के खातों में पहुंची थी, तब एक महीने में करीब 17 हजार महिलाओं का नाम जोड़ा गया था। सितंबर 2023 में यह आंकड़ा 1 करोड़ 30 लाख 78 हजार 314 तक पहुंच गया था, लेकिन इसके बाद से इसमें लगातार गिरावट आ रही है। फरवरी 2025 तक यह संख्या करीब 3.5 लाख कम हो चुकी है।
सरकार ने जांच कराने की बात कही है, लेकिन सवाल यह है कि क्या जिन महिलाओं का नाम योजना से हटाया गया है, उन्हें दोबारा जोड़ा जाएगा? क्या योजना की राशि बढ़ाने पर सरकार विचार कर रही है? फिलहाल इस मुद्दे पर सियासी बयानबाजी तेज हो गई है, और आने वाले दिनों में इस पर और विवाद हो सकता है।
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