मध्य प्रदेश में माध्यमिक शिक्षक भर्ती 2025 को लेकर विवाद बढ़ता ही जा रहा है। सरकारी कर्मचारियों (प्राथमिक शिक्षक) और अतिथि शिक्षकों के लिए आवेदन प्रक्रिया में सामने आई विसंगतियों के कारण कई उम्मीदवार असमंजस और भविष्य को लेकर चिंता में हैं। हलाकि इस मुद्दे को लेकर जबलपुर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है, जिसमें तत्काल सुनवाई की मांग की गई थी। विशेष अनुमति के तहत यह मामला दोपहर 2:30 बजे सुनवाई के लिए सूचीबद्ध हुआ। जस्टिस विशाल मिश्रा की एकलपीठ ने इसे गंभीर मामला मानते हुए मध्य प्रदेश सरकार को दो दिन के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
देखें क्या है पूरा विवाद?
मध्य प्रदेश स्कूल शिक्षा विभाग ने हाल ही में माध्यमिक शिक्षक भर्ती के लिए ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया शुरू की, लेकिन आवेदन पोर्टल पर केवल दो विकल्प उपलब्ध कराए गए— पहला “सरकारी कर्मचारी” और दूसरा “अतिथि शिक्षक”। यहां समस्या यह है कि दोनों विकल्पों को एक साथ नहीं चुना जा सकता था।
इसका सीधा असर उन उम्मीदवारों पर पड़ रहा है, जो सरकारी कर्मचारी भी हैं और अतिथि शिक्षक के रूप में अनुभव भी रखते हैं। वे अपने वास्तविक विवरण दर्ज नहीं कर पा रहे, जिससे न केवल वे भर्ती प्रक्रिया में मिलने वाली आयु सीमा की छूट से वंचित हो रहे हैं, बल्कि अतिथि शिक्षक श्रेणी में मिलने वाले लाभ भी नहीं ले पा रहे। याचिकाकर्ताओं ने इस विसंगति को भर्ती नियमों के विरुद्ध बताते हुए कोर्ट में चुनौती दी है। और यह अपील बहुत जरुरी थी क्योंकि राज्य के अतिथि शिक्षक वर्ग पहले से ही बहुत परेशान है और इस तरह मामला उनके लिए परेशानी का दूसरा बड़ा कारण बन गया।
सरकारी कर्मचारियों की पात्रता पर सवाल
याचिकाकर्ताओं के वकील धीरज तिवारी ने कोर्ट में दलील दी कि किसी भी सरकारी कर्मचारी के लिए यह अनिवार्य होता है कि वह भर्ती प्रक्रिया में अपने वर्तमान रोजगार की जानकारी दे। लेकिन इस बार आवेदन पोर्टल पर ऐसा कोई विकल्प नहीं दिया गया, जिससे हजारों उम्मीदवार प्रभावित हो रहे हैं।
वकील धीरज तिवारी जी के अनुसार, मध्य प्रदेश स्कूल शिक्षा सेवा भर्ती नियम, 2018 में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जो सरकारी कर्मचारियों को अतिथि शिक्षक श्रेणी से बाहर करता हो। 2023 में आयोजित उच्च माध्यमिक शिक्षक भर्ती में कई प्राथमिक शिक्षक, जो सरकारी सेवा में थे, उन्होंने गेस्ट फैकल्टी का चयन कर उच्च माध्यमिक शिक्षक पद पर नियुक्ति पाई थी। ऐसे में इस बार यह प्रतिबंध पूरी तरह से अवैध और मनमाना बताया जा रहा है।
कोर्ट के सामने उठे तीन बड़े सवाल
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने राज्य सरकार से तीन प्रमुख बिंदुओं पर स्थिति स्पष्ट करने को कहा:
- आवेदन प्रक्रिया में इस तरह की शर्त क्यों रखी गई?
- सरकारी कर्मचारी होते हुए भी अतिथि शिक्षक का लाभ क्यों नहीं दिया जा रहा?
- क्या यह भर्ती नियमों और समान अवसर के संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन नहीं है?
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दखें क्या है सरकार का पक्ष?
मध्य प्रदेश सरकार ने 11 फरवरी 2025 को एक आदेश जारी कर कहा कि “जो उम्मीदवार सरकारी कर्मचारी हैं और अतिथि शिक्षक के रूप में अनुभव रखते हैं, वे अतिथि शिक्षक श्रेणी के लाभ के पात्र नहीं होंगे।” सरकार का तर्क है कि यह नियम संभावित दोहरे लाभ (Double Benefits) को रोकने के लिए लागू किया गया है। हालांकि, याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह पूरी तरह अनुचित है, क्योंकि दोनों श्रेणियों के लाभ अलग-अलग प्रकृति के हैं।
देखें अब आगे क्या?
इस मामले की अगली सुनवाई 22 फरवरी को होगी, जिसमें सरकार को अपना जवाब दाखिल करना होगा। यदि सरकार अपने पक्ष को ठोस तरीके से पेश नहीं कर पाती, तो हाईकोर्ट इस मामले में कड़ा रुख अपना सकता है। याचिकाकर्ताओं को उम्मीद है कि अदालत इस नियम को असंवैधानिक घोषित कर भर्ती प्रक्रिया में संशोधन का आदेश देगी।
इस मामले पर अब पूरे प्रदेश के शिक्षक भर्ती अभ्यर्थियों की नजरें टिकी हुई हैं। भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता और उम्मीदवारों के अधिकारों को लेकर यह केस एक अहम मिसाल बन सकता है। हलाकि अब देखना यह दिलचस्प होगा की आगे किस तरह की कार्यवाही होती है। आपके क्या विचार है अपने विचार नीचे कमेंट करके हमे जरूर बताएं।
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