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मध्य प्रदेश में ई-मंडी से किसानों को बड़ी राहत, घर बैठे ही बेच सकेंगे गेहूं फसल

मध्य प्रदेश सरकार ने किसानों के लिए एक बड़ी सौगात देते हुए ई-मंडी प्रणाली की शुरुआत की है, जिससे किसान घर बैठे ही अपनी फसल बेच सकेंगे। इससे उन्हें न तो मंडी में लंबी कतारों में खड़ा होना पड़ेगा और न ही व्यापारियों से संपर्क करने की झंझट रहेगी। हालाँकि, इस राहत के बीच एक नई समस्या भी सामने आई है। मध्य प्रदेश में गेहूं खरीदी के लिए सहकारी बैंक खाते को अनिवार्य कर दिया गया है, जिससे कई किसान नाराज हैं। हम यहाँ विस्तार से सभी जानकारी जानने वाले है।

ई-मंडी से किसानों को क्या फायदे होंगे

मध्य प्रदेश में किसानों के लिए ई-मंडी की शुरुआत होने वाली है। मध्य प्रदेश की सेंवढ़ा, भांडेर और दतिया मंडियों में 1 अप्रैल से ई-मंडी संचालन शुरू हो जायेगा। इस नई प्रणाली से किसानों को निम्नलिखित लाभ होंगे:-

  • घर बैठे गेहूं बेचने की सुविधा: किसान अब मोबाइल या कंप्यूटर के जरिए खरीदारों से सीधे जुड़ सकेंगे और अपनी उपज का सौदा तय कर सकेंगे।
  • तुलाई और लंबी कतारों से छुटकारा: पारंपरिक मंडी प्रणाली में किसानों को कई घंटे या कई बार पूरा दिन भी इंतजार करना पड़ता था, लेकिन अब वे तय स्थान पर तुलाई कराकर तुरंत निपटान कर सकेंगे।
  • ऑनलाइन रिकॉर्ड और पारदर्शिता: किसानों को उपज की बिक्री और भुगतान की पूरी जानकारी SMS और WhatsApp पर मिलेगी, जिससे धोखाधड़ी की संभावना कम होगी।
  • समय और लागत की बचत: ई-मंडी से किसानों को व्यापारियों को ढूंढने की जरूरत नहीं होगी, जिससे उनका समय बचेगा और अतिरिक्त खर्च भी कम होगा।

ई-मंडी से व्यापारियों को भी होंगे लाभ

ई-मंडी प्रणाली से केवल किसानों को ही नहीं, बल्कि व्यापारियों को भी कई फायदे होंगे जैसे –

  • ऑनलाइन फसल खरीद की सुविधा: व्यापारी अब मंडी गए बिना भी किसानों से सीधा संपर्क कर सकेंगे और अपनी जरूरत के अनुसार फसल खरीद पाएंगे।
  • लेन-देन की पारदर्शिता: ई-मंडी में सभी ट्रांजेक्शन डिजिटल तरीके से होंगे, जिससे किसी भी प्रकार की अनियमितता की संभावना कम होगी।
  • विस्तृत विकल्प और प्रतिस्पर्धा: व्यापारी विभिन्न किसानों से जुड़कर अपनी पसंद की फसल चुन सकते हैं, जिससे बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और किसानों को बेहतर दाम मिलने की संभावना रहेगी।

अब गेहूं खरीदी में सहकारी बैंक खाता अनिवार्य

ई-मंडी की यह सुविधा मध्य प्रदेश के किसानों के लिए एक बड़ा वरदान साबित हो सकती है, लेकिन इस बीच गेहूं खरीदी को लेकर एक नई समस्या खड़ी हो गई है। मोहन सरकार ने समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचने के लिए सहकारी बैंक खाते को अनिवार्य कर दिया है।

अशोकनगर सहित कई जिलों के किसानों के लिए यह नियम परेशानी का कारण बन गया है, क्योंकि बहुत से किसानों के पास पहले से निजी बैंकों में खाते हैं, और अब उन्हें नए खाते खोलने के लिए अतिरिक्त मशक्कत करनी पड़ रही है। किसान संगठनों ने इस फैसले का विरोध किया है और सरकार से इस नियम को हटाने की मांग की है।

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सरकार के फैसले पर किसानों की प्रतिक्रिया

कई किसानों का मानना है कि ई-मंडी से उन्हें काफी राहत मिलेगी, लेकिन सहकारी बैंक खाता अनिवार्यता उनके लिए एक नई मुश्किल बन गई है।

  • कृषक परम सिंह का कहना है कि “ई-मंडी से हमारा समय बचेगा और फसल बेचने में आसानी होगी, लेकिन नए बैंक खाते खोलने की अनिवार्यता से परेशानी बढ़ गई है। सरकार को इसे वैकल्पिक करना चाहिए।”
  • बाबूलाल कुशवाह ने कहा, “ई-मंडी अच्छी योजना है, लेकिन सरकार को भुगतान के लिए किसानों को अपनी पसंद का बैंक चुनने की आज़ादी देनी चाहिए।”
  • मंडी सचिव फूल सिंह जाटव ने बताया कि “ई-मंडी संचालन से पारदर्शिता बढ़ेगी और किसानों व व्यापारियों दोनों को सुविधा होगी। हम सरकार से अनुरोध करेंगे कि वे किसानों की बैंकिंग समस्या पर विचार करें।”

मध्य प्रदेश में ई-मंडी प्रणाली एक क्रांतिकारी बदलाव लेकर आई है, जिससे किसानों को समय, लागत और पारदर्शिता का लाभ मिलेगा। लेकिन समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचने के लिए सहकारी बैंक खाता अनिवार्य करना कई किसानों के लिए परेशानी का सबब बन सकता है।

मध्य प्रदेश सरकार को चाहिए कि वह किसानों की समस्या को गंभीरता से ले और बैंक खाते की अनिवार्यता को हटाने पर विचार करे, ताकि अधिक से अधिक किसान इस नई प्रणाली का लाभ उठा सकें। ई-मंडी से कृषि व्यापार में सुधार की संभावना है, लेकिन सभी वर्गों को ध्यान में रखकर फैसले लिए जाने चाहिए, ताकि यह बदलाव पूरी तरह से सफल हो सके।

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  • Uma ApnaKAl

    मैं उमा, अपना कल की लेखिका हूँ। नीति, योजनाओं और सामाजिक विषयों पर लिखती हूँ, खासतौर पर मध्य प्रदेश और देश से जुड़े मुद्दों पर। मेरा लक्ष्य जटिल विषयों को सरल भाषा में प्रस्तुत कर जागरूकता बढ़ाना है।

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