MP News: मध्य प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र में मंगलवार को धान खरीदी में गड़बड़ी और सिंचाई संकट को लेकर जमकर बहस हुई। बीजेपी विधायक अजय विश्नोई ने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के तहत धान खरीदी में हो रही अनियमितताओं पर मोहन सरकार से जवाब मांगा। वहीं, कांग्रेस विधायक रजनीश सिंह ने सिंचाई के अभाव में खराब हुई फसल को लेकर सरकार को कटघरे में खड़ा किया। क्या है पूरा मामला जानने के लिए आज खबर अंत तक जरूर पढ़ें।
धान खरीदी को लेकर उठे सवाल
बीजेपी विधायक अजय विश्नोई ने सदन में मोहन सरकार से पूछा कि धान खरीदी के लिए पर्ची कटती है, ट्रांसपोर्ट का चार्ज भी लिया जाता है, लेकिन धान नहीं उठाया जाता। उन्होंने आरोप लगाया कि धान खरीदी में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां हो रही हैं, जिससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। उन्होंने मांग की कि दोषी कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई हो और धान खरीदी की जिम्मेदारी स्व-सहायता समूह की महिलाओं को दी जाए, ताकि पारदर्शिता बनी रहे।
मंत्री का जवाब और विपक्ष का हमला
इस पर सहकारिता मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने जवाब देते हुए कहा कि दोषी कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है और आगे भी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। हालांकि, विपक्ष इससे संतुष्ट नहीं हुआ और कांग्रेस विधायक रजनीश सिंह ने मध्य प्रदेश की मोहन सरकार को किसानों के मुद्दे पर घेर लिया।
सिंचाई संकट से बर्बाद हुई फसल
रजनीश सिंह ने सिवनी जिले के भीमगढ़ जलाशय का मुद्दा उठाते हुए कहा कि जलाशय में पर्याप्त पानी होने के बावजूद सिंचाई के लिए नहरों में पानी नहीं छोड़ा गया, जिससे गेहूं की फसल बर्बाद हो गई। उन्होंने किसानों के नुकसान की भरपाई के लिए RBC 6/4 के तहत सर्वे कराकर मुआवजा देने की मांग की।
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सरकार की सफाई और विपक्ष की नाराजगी
जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट ने सदन में जवाब दिया कि स्थानीय स्तर पर कोई आक्रोश की स्थिति नहीं है और न ही फसल पूरी तरह से नष्ट हुई है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि मामले की जांच कराई जाएगी और किसानों को उचित मुआवजा भी दिया जाएगा।
हालांकि, कांग्रेस विधायक मंत्री के जवाब से संतुष्ट नहीं हुए और उन्होंने इसे गलत करार दिया। विपक्ष का कहना था कि सरकार किसानों के प्रति संवेदनशील होने का दावा तो कर रही है, लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और ही है।
धान खरीदी में गड़बड़ी और सिंचाई के मुद्दे पर सदन में उठी बहस यह दिखाती है कि राज्य में किसानों की समस्याएं अभी भी गंभीर बनी हुई हैं। सरकार ने भले ही जांच और मुआवजे का भरोसा दिया हो, लेकिन विपक्ष की मांग है कि जल्द से जल्द ठोस कदम उठाए जाएं ताकि किसानों को उनके नुकसान की भरपाई मिल सके। अब देखना यह होगा कि मध्य प्रदेश की मोहन सरकार इस मामले में कितनी तेजी से कार्रवाई करती है।
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