MP News: मध्य प्रदेश सरकार एक बार फिर से कर्ज़ लेने जा रही है। 19 मार्च को सरकार बाजार से 6,000 करोड़ रुपये का नया लोन उठाएगी, यह कर्ज इस मार्च महीने में तीसरी बार होगा। मार्च में अब तक मोहन सरकार कुल 18,000 करोड़ रुपये का कर्ज़ ले चुकी है। मोहन सरकार द्वारा लिए जा रहे लगातार कर्ज से राज्य की वित्तीय स्थिरता और भविष्य की योजनाओं पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।
मध्य प्रदेश में कर्ज़ का बढ़ता बोझ
मध्य प्रदेश की मोहन सरकार पर 31 मार्च 2024 तक 3.75 लाख करोड़ रुपये का कर्ज़ था। नया कर्ज़ जोड़ने के बाद यह बढ़कर 4.34 लाख करोड़ रुपये हो जाएगा। राज्य का कुल बजट 4.31 लाख करोड़ रुपये है, यानी कर्ज़ का आंकड़ा बजट से भी अधिक हो चुका है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में अब तक लिया गया कुल कर्ज़ 59,000 करोड़ रुपये (जो पिछले साल से 15,000 करोड़ रुपये ज्यादा है)।
आखिर मध्य प्रदेश सरकार इतना कर्ज़ क्यों ले रही है?
मध्य प्रदेश सरकार का कहना है कि यह कर्ज़ विकास योजनाओं और वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए लिया जा रहा है। हालांकि, वित्तीय विशेषज्ञों के अनुसार, लगातार बढ़ता कर्ज़ और बढ़ता ब्याज भुगतान राज्य की अर्थव्यवस्था पर भारी दबाव बना सकता है।
बढ़ते कर्ज़ से राज्य की अर्थव्यवस्था पर खतरा
राज्य के राजस्व में अपेक्षित वृद्धि नहीं हो रही है, जिससे मोहन सरकार बार-बार कर्ज़ उठाने को मजबूर हो रही है। ब्याज भुगतान बढ़ने से विकास योजनाओं पर असर पड़ सकता है, जिससे सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य बुनियादी सेवाओं के लिए कम बजट बचेगा। अगर यही रफ्तार रही, तो आने वाले वर्षों में कर्ज़ चुकाने की क्षमता पर गंभीर संकट खड़ा हो सकता है।
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राजनीतिक और आर्थिक असर
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर मोहन सरकार इसी गति से कर्ज़ लेती रही, तो राज्य की वित्तीय स्थिति कमजोर हो सकती है। विपक्ष ने भी मोहन सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा है कि राज्य को वित्तीय कुप्रबंधन की ओर धकेला जा रहा है।
मध्य प्रदेश में कर्ज़ और बजट का संतुलन बिगड़ता दिख रहा है। अगर सरकार जल्द ही वित्तीय प्रबंधन में सुधार नहीं करती, तो आने वाले वर्षों में राज्य को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ सकता है। अब देखना यह होगा कि मोहन सरकार इस बढ़ते कर्ज़ पर लगाम लगाने के लिए क्या ठोस कदम उठाती है।
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