मध्य प्रदेश सरकार ने वन्यजीव संरक्षण को और मजबूती देने के लिए आज एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। आज शिवपुरी स्थित माधव टाइगर रिजर्व का मुख्यमंत्री मोहन यादव के द्वारा शुभारंभ किया जाएगा। इस शुभ मौके पर जंगल में एक बाघ और एक बाघिन को छोड़ा जाएगा, जिससे इस नए टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या बढ़कर 7 हो जाएगी। इसके साथ ही इस रिजर्व के जुड़ने से मध्य प्रदेश में टाइगर रिजर्व की संख्या बढ़कर 9 हो गई है, जिससे यह देश का 58वां टाइगर रिजर्व बन गया है। विस्तृत जानकारीके िये इस आर्टिकल को अंत तक पढ़े।
वन्यजीव संरक्षण को मिलेगा बढ़ावा
माधव टाइगर रिजर्व के बनने से वन्यजीवों को एक सुरक्षित और अनुकूल पर्यावरण मिलेगा। यहाँ छोड़े जा रहे बाघों के लिए प्राकृतिक परिवेश को बेहतर बनाने पर विशेष ध्यान दिया गया है। उम्मीद की जा रही है कि आने वाले वर्षों में यहाँ बाघों की संख्या में और भी बढ़ोतरी होगी, जिससे जैव विविधता को मजबूती मिलेगी।
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सुरक्षा के लिए बनेगी 13 किलोमीटर लंबी दीवार
शिवपुरी स्थित माधव टाइगर रिजर्व मे बाघों और अन्य वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए जंगल के चारों ओर 13 किलोमीटर लंबी मजबूत पत्थर की दीवार बनाई गई है। यह दीवार इंसान और वन्यजीवों के बीच संघर्ष को कम करने में मदद करेगी और टाइगर रिजर्व के संरक्षण को और मजबूत बनाएगी।
मध्य प्रदेश – टाइगर स्टेट का दर्जा बरकरार
मध्य प्रदेश को पहले से ही ‘टाइगर स्टेट’ का दर्जा प्राप्त है, क्योंकि यहाँ देश में सबसे ज्यादा बाघों की संख्या है। माधव टाइगर रिजर्व के जुड़ने के बाद प्रदेश में अब 9 टाइगर रिजर्व हो गए हैं। इससे न केवल वन्यजीव संरक्षण को बल मिलेगा, बल्कि पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा, जिससे स्थानीय लोगों के लिए नए रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे।
माधव टाइगर रिजर्व का महत्व
माधव टाइगर रिजर्व वन्यजीवों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान है, जहाँ कई दुर्लभ जीव-जंतु और पक्षी पाए जाते हैं। यहाँ का समृद्ध जंगल न केवल बाघों के लिए, बल्कि अन्य वन्यजीवों के लिए भी आदर्श प्राकृतिक वातावरण प्रदान करता है। इसके संरक्षण से पर्यावरण संतुलन को बनाए रखने में मदद मिलेगी।
मध्य प्रदेश में वन्यजीव संरक्षण की दिशा में उठाया गया यह कदम ऐतिहासिक है। माधव टाइगर रिजर्व का शुभारंभ न केवल बाघों की संख्या बढ़ाने में सहायक होगा, बल्कि यह प्रदेश के पर्यटन और इको-टूरिज्म को भी बढ़ावा देगा। सरकार के इस फैसले से वन्यजीव प्रेमियों, पर्यटकों और स्थानीय निवासियों को लाभ मिलेगा और पर्यावरण संरक्षण को भी मजबूती मिलेगी। इसी तरह की अन्य जानकारी पढ़ने के लिए आप हमारी वेबसाइट अपना कल के माध्यम से जुड़े रहें।
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