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MP News: MPESB ने खत्म की नॉर्मलाइजेशन पद्धति, नए साल से लागू होगा नया रिजल्ट फॉर्मूला

MP News: मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन मंडल (MPESB) ने एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए परीक्षा परिणामों में इस्तेमाल हो रही नॉर्मलाइजेशन पद्धति को समाप्त करने का आदेश जारी किया है। यह आदेश 1 जनवरी 2025 से प्रभावी होगा और आगामी परीक्षाओं में नई स्केलिंग तकनीक का उपयोग किया जाएगा। इस बदलाव के पीछे प्रमुख कारण परीक्षार्थियों की बढ़ती शिकायतें और पारदर्शिता सुनिश्चित करने की जरूरत बताई जा रही है।

क्या था नॉर्मलाइजेशन सिस्टम और क्यों खत्म किया गया?

MPESB की कई परीक्षाएं अलग-अलग शिफ्ट्स में आयोजित की जाती थीं, जिससे हर शिफ्ट के कठिनाई स्तर में अंतर आ सकता था। इस समस्या को दूर करने के लिए नॉर्मलाइजेशन पद्धति अपनाई गई थी, जिससे सभी शिफ्ट्स के उम्मीदवारों को संतुलित और निष्पक्ष स्कोर दिया जाता था।

हालांकि, इस प्रणाली को लेकर वर्षों से विवाद बना रहा। कई परीक्षाओं में ऐसा देखने को मिला कि कुछ अभ्यर्थियों को उनके वास्तविक स्कोर से अधिक अंक मिले, यहां तक कि 100 से ज्यादा अंक तक आ गए। इस विसंगति को देखते हुए परीक्षार्थियों और विशेषज्ञों ने नॉर्मलाइजेशन पद्धति पर सवाल उठाए। इसके चलते MPESB ने इस प्रणाली को समाप्त करने का फैसला किया।

नए फॉर्मूले से कैसे तैयार होगा परीक्षा परिणाम?

MPESB द्वारा जारी नए निर्देशों के अनुसार, अब परीक्षा परिणाम Normalized Equi-Percentile (NEP) Scaling तकनीक से तैयार किया जाएगा। इस तकनीक में उम्मीदवारों के स्कोर को प्रतिशत आधारित स्केलिंग पर आंका जाएगा, जिससे अलग-अलग शिफ्ट्स में बैठने वाले परीक्षार्थियों को निष्पक्ष अंक दिए जा सकें।

इसके अलावा, मल्टी-स्टेज परीक्षाओं के लिए भी एक नया सिस्टम लागू किया गया है। अब पहले चरण के प्रतिशत स्कोर को सीधे दूसरे चरण में नहीं जोड़ा जाएगा, बल्कि उसे एक विशेष फॉर्मूले के तहत मानकीकरण (Standard Normal Distribution) के माध्यम से स्केल किया जाएगा।

MP News: MPESB ने खत्म की नॉर्मलाइजेशन पद्धति, नए साल से लागू होगा नया रिजल्ट फॉर्मूला

नए स्कोरिंग सिस्टम का प्रभाव

MPESB के इस निर्णय से लाखों परीक्षार्थियों को राहत मिलेगी, जो नॉर्मलाइजेशन पद्धति के कारण अपने वास्तविक प्रदर्शन को लेकर असंतुष्ट रहते थे। विशेषज्ञों का मानना है कि नया स्कोरिंग सिस्टम ज्यादा पारदर्शी और निष्पक्ष होगा, जिससे उम्मीदवारों को उनके वास्तविक प्रदर्शन के आधार पर उचित अंक मिल सकेंगे।

छात्रों और शिक्षाविदों की प्रतिक्रिया

इस बदलाव पर छात्रों और शिक्षाविदों की मिली-जुली प्रतिक्रिया सामने आ रही है। कई उम्मीदवारों ने इस फैसले का स्वागत किया है, जबकि कुछ का मानना है कि नए सिस्टम की प्रभावशीलता का आकलन तभी हो सकेगा जब इसे व्यावहारिक रूप से लागू किया जाएगा

एक अभ्यर्थी अभिषेक शर्मा ने कहा, “यह बहुत अच्छा फैसला है। नॉर्मलाइजेशन की वजह से कई बार अच्छे अंक लाने के बावजूद रैंक खराब हो जाती थी। अब हमें निष्पक्ष तरीके से स्कोर मिलेगा।”

वहीं, शिक्षा विशेषज्ञ डॉ. सीमा वर्मा ने कहा, “यह देखना दिलचस्प होगा कि नया स्केलिंग सिस्टम कितना प्रभावी साबित होता है। MPESB को पारदर्शिता और सटीकता सुनिश्चित करनी होगी ताकि कोई नया विवाद ना खड़ा हो।”

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MPESB का संदेश

MPESB ने परीक्षार्थियों को आश्वासन दिया है कि नई प्रणाली को पूरी तरह वैज्ञानिक और निष्पक्ष तरीके से लागू किया जाएगा। मंडल ने यह भी स्पष्ट किया है कि यह फैसला तुरंत प्रभाव से लागू किया गया है और जनवरी 2025 के बाद होने वाली सभी परीक्षाओं में नए फॉर्मूले के अनुसार रिजल्ट घोषित किए जाएंगे।

MPESB का यह निर्णय प्रदेश में सरकारी नौकरियों की परीक्षा देने वाले लाखों छात्रों के लिए एक बड़ा बदलाव है। इससे न केवल परीक्षार्थियों को अधिक पारदर्शी और निष्पक्ष परिणाम मिलेंगे, बल्कि भर्ती प्रक्रिया में भी सुधार देखने को मिलेगा। अब यह देखना बाकी है कि यह नया स्केलिंग सिस्टम कितनी सफलता से लागू होता है और परीक्षार्थियों के प्रदर्शन पर इसका क्या असर पड़ता है।

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  • Uma ApnaKAl

    मैं उमा, अपना कल की लेखिका हूँ। नीति, योजनाओं और सामाजिक विषयों पर लिखती हूँ, खासतौर पर मध्य प्रदेश और देश से जुड़े मुद्दों पर। मेरा लक्ष्य जटिल विषयों को सरल भाषा में प्रस्तुत कर जागरूकता बढ़ाना है।

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